हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीना साल का तीसरा महीना होता है, और यह विशेष रूप से गर्मी के मौसम में आता है। ज्येष्ठ माह में कई महत्वपूर्ण धार्मिक तिथियाँ होती हैं और इस महीने का विशेष महत्व है। यह समय न केवल जल, वायु और पृथ्वी के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह महीना हमें तपस्या, साधना और आत्मिक शांति की ओर भी प्रेरित करता है।
इस लेख में हम आपको ज्येष्ठ महीने के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं, जैसे कि यह महीना कब आता है, इसके प्रमुख त्योहार कौन से हैं, और इस माह का धार्मिक महत्व क्या है। साथ ही, हम ज्येष्ठ महीने में आने वाली महत्वपूर्ण तिथियों जैसे पूर्णिमा, अमावस्या और त्योहारों के बारे में भी चर्चा करेंगे। अगर आप भी ज्येष्ठ माह के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।
जेठ का महीना कब आता है
ज्येष्ठ महीना हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का तीसरा महीना होता है, जो आमतौर पर मई और जून के बीच आता है। यह महीना
गर्मी के मौसम में होता है और इसके दौरान सूरज की गर्मी अपने चरम पर होती है। ज्येष्ठ माह की शुरुआत
ज्येष्ठ कृष्णपक्ष प्रतिपदा से होती है। इस दौरान कई धार्मिक कार्य और व्रत किए जाते हैं, जिनसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
ज्येष्ठ मास का समय विशेष रूप से तपस्या, साधना, और श्रद्धा के साथ पूजा करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस माह का आरंभ न केवल धार्मिक कार्यों के लिए, बल्कि प्रकृति के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण होता है।
2025 ज्येष्ठ महीना कब शुरू हो रहा है
2025 में
ज्येष्ठ महीना 13 मई 2025 को शुरू हो कर जून 11, 2025 को खत्म होता है। यह दिन
ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा होता है, जो विशेष रूप से व्रत, पूजा, और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। ज्येष्ठ महीने की शुरुआत के साथ ही लोग इस दिन को विशेष रूप से घरों में पूजा और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस माह में विशेष रूप से
पवित्र गंगा स्नान,
ग्रह पूजन, और
दान पुण्य करने की परंपरा है। यह महीना गर्मी के समय में आता है, और इसलिए इसे शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होने के रूप में देखा जाता है। 2025 में ज्येष्ठ महीने की शुरुआत 13 मई से होगी, और इस दौरान प्रमुख त्योहार और तिथियाँ मनाई जाएँगी।
2025 ज्येष्ठ मास में कौन सा त्यौहार आता है
ज्येष्ठ महीने में कुछ प्रमुख धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं। 2025 में ज्येष्ठ माह के दौरान मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में शामिल हैं:
- ज्येष्ठ माह की एकादशी: 23 मई 2025 को यह एकादशी मनाई जाएगी। इसे ‘अपर्णा एकादशी’ कहा जाता है, और इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
- ज्येष्ठ पूर्णिमा: 11 जून 2025 को मनाई जाने वाली यह पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष फल माना जाता है और इसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।
- गंगा दशहरा: 5 जून 2025 को मनाए जाने वाला यह पर्व गंगा नदी के धरती पर अवतरण के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सत्तू का भोग लगाया जाता है।
त्योहार का नाम |
दिनांक |
नारद जयंती |
13 मई 2025 |
वृषभ संक्रांति |
15 मई 2025 |
संकष्टी गणेश चतुर्थी |
16 मई 2025 |
कालाष्टमी |
20 मई 2025 |
भद्रकाली जयंती, अपरा एकादशी |
23 मई 2025 |
प्रदोष व्रत |
24 मई 2025 |
मास शिवरात्रि |
25 मई 2025 |
वट सावित्री व्रत |
26 मई 2025 |
भौमवती अमावस्या, अमावस्या, शनि जयंती, रोहिणी व्रत |
27 मई 2025 |
ग्रीष्म ऋतू, चंद्र दर्शन |
28 मई 2025 |
महाराणा प्रताप जयंती |
29 मई 2025 |
वरद चतुर्थी |
30 मई 2025 |
शीतला षष्टी |
31 मई 2025 |
दुर्गाष्टमी व्रत, धूमावती जयंती, वृषभ व्रत |
3 जून 2025 |
महेश नवमी |
4 जून 2025 |
गंगा दशहरा, विश्व पर्यावरण दिवस |
5 जून 2025 |
निर्जला एकादशी |
6 जून 2025 |
बकरीद (ईद-उल-अज़हा) |
7 जून 2025 |
प्रदोष व्रत |
8 जून 2025 |
सत्य व्रत, पूर्णिमा व्रत, वैट सावित्री पूर्णिमा |
10 जून 2025 |
पूर्णिमा, सत्य व्रत, देव स्नान पूर्णिमा, कबीर जयंती |
11 जून 2025 |
2025 ज्येष्ठ में पूर्णिमा कब है
साल 2025 में ज्येष्ठ मास में पूर्णिमा की तिथि 11 जून को है। यह पूर्णिमा शुक्ल पक्ष की तिथि है और इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण प्रकाश में रहता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से दान-धर्म का महत्व भी बताया गया है। इस दिन किए गए अच्छे कार्यों का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। इसीलिए लोग इस दिन को बहुत शुभ मानते हैं।
2025 ज्येष्ठ में अमावस कब है
साल 2025 में ज्येष्ठ मास की अमावस्या 27 मई को है। यह अमावस्या कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है, जब चंद्रमा का प्रकाश नहीं होता है। ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व हिंदू धर्म में है, क्योंकि यह दिन पितरों की पूजा और तर्पण के लिए समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धालु अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और पितृ ऋण से मुक्त होने का प्रयास करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन को ‘वट सावित्री व्रत’ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग इस दिन का विशेष ध्यान रखते हैं और विभिन्न पूजा-पाठ करते हैं।
ज्येष्ठ मास का महत्व
ज्येष्ठ मास हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष महत्व रखता है। यह मास गर्मी के मौसम में आता है और आमतौर पर मई-जून में होता है। ज्येष्ठ मास को शास्त्रों में ‘ज्येष्ठता’ का प्रतीक माना गया है, जो इस बात का संकेत है कि इस अवधि में सभी चीजें अपने उच्चतम स्तर पर होती हैं। इस माह में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं जैसे नारद जयंती, वट सावित्री व्रत, और गंगा दशहरा। धार्मिक दृष्टि से, इस मास में पितरों की पूजा, तर्पण, और दान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस महीने में किए गए अच्छे कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है। इससे लोगों को आध्यात्मिक और मानसिक सुख प्राप्त होता है।
ज्येष्ठ से सम्बंधित प्रश्न
ज्येष्ठ के बाद क्या आता है
ज्येष्ठ महीने के बाद आषाढ़ का महीना आता है।
ज्येष्ठ में क्या नहीं खाना चाहिए
ज्येष्ठ महीने में ज्यादा मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस समय गर्मी अपने चरम पे होती है और मसालेदार भोजन से स्वाथ्य को नुकसान हो सकता है।
जेठ में क्या दान करना चाहिए
ज्येष्ठ माह में तिल और जल का दान करना चाहिए।
ज्येष्ठ माह धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह महीना तपस्या, साधना और पुण्य कार्यों के लिए उपयुक्त होता है। 2025 में ज्येष्ठ महीना 13 मई से शुरू हो रहा है, और इस दौरान आने वाले प्रमुख त्योहारों और तिथियों का पालन करना चाहिए। यह समय हमें शारीरिक और मानसिक शुद्धि की ओर प्रेरित करता है, और हमें अपने जीवन में समृद्धि और शांति लाने का अवसर देता है।