2025 चैत्र महीना कब है? पूर्णिमा, अमावस, नवरात्रि
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीना वर्ष का पहला महीना होता है। यह महीना खासकर भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। चैत्र माह में विभिन्न धार्मिक त्योहारों की धूम होती है और यह समय एक नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
यहाँ हम आपको चैत्र महीने के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं, जैसे कि यह महीना कब आता है, इसके प्रमुख त्योहार कौन से हैं, और इस माह का धार्मिक महत्व क्या है। इसके अलावा, हम 2025 में चैत्र माह के महत्वपूर्ण तिथियों जैसे पूर्णिमा, अमावस्या और त्योहारों के बारे में भी चर्चा करेंगे।Table of Contents
चैत्र महीना कब आता है
चैत्र महीना भारतीय हिन्दू पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार वर्ष का पहला महीना होता है, जो प्रत्येक साल मार्च और अप्रैल के बीच आता है। यह माह वसंत ऋतु के दौरान आता है और इसे खासतौर पर धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। चैत्र माह की शुरुआत चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि से होती है, तथा चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि हिंदू नववर्ष के रूप में मनाई जाती है। इस दिन को हिन्दू नववर्ष, गुड़ी पड़वा, उगादी, चैत सुदी एकादशी और अन्य कई स्थानों पर विशेष रूप से मनाया जाता है। चैत्र माह का समय नई शुरुआत, समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, और इस दौरान अनेक धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।चैत्र महीना कब शुरू हो रहा है 2025
2025 में चैत्र महीना 15 मार्च को शुरू होगा और 12 अप्रैल को समाप्त होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह महीना विक्रम संवत 2082 का पहला महीना है और इसमें कई प्रमुख त्योहार तथा व्रत आते हैं। चैत्र मास की शुरुआत से हिन्दू नववर्ष का आगाज भी होता है, जिसे ‘गुड़ी पड़वा’ के नाम से भी मनाया जाता है चैत्र शुक्ल पक्ष के दौरान चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जो 30 मार्च 2025 को प्रारंभ होगा। नवरात्रि के इस पर्व का खास महत्व होता है, जहाँ लोग मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। यह समय न केवल धार्मिक उत्सवों का होता है, बल्कि कृषक वर्ग के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय फसल बोने का कार्य शुरू होता है। इस तरह, चैत्र महीना भारतीय संस्कृति और परंपरा में विशेष स्थान रखता है।2025 चैत्र महीने में प्रमुख त्योहार
2025 में चैत्र महीने में विभिन्न महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाएंगे। यहाँ चैत्र महीने में आने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों की तारीखें दी गई हैं:- गणगौर पूजा: 1 अप्रैल 2025 गणगौर पूजा विशेषकर महिलाओं द्वारा मनाई जाती है, जिसमें वे माता गौरी के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करती हैं।
- राम नवमी: 6 अप्रैल 2025 यह पर्व भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
- चैत्र नवरात्रि: 30 मार्च 2025 से 6/7 अप्रैल 2025 तक यह नौ दिनों का पर्व देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित होता है।
त्योहार का नाम | तारीख | तिथि |
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गणगौर व्रत प्रारंभ, अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस | 15 मार्च 2025 | 1 कृष्ण |
रंग पंचमी | 19 मार्च 2025 | 5 कृष्ण |
शीतला अष्टमी | 22 मार्च 2025 | 8 कृष्ण |
पापमोचनी एकादशी | 25 मार्च 2025 | 11 कृष्ण |
अमावस्या | 29 मार्च 2025 | चैत्र अमावस्या |
विक्रम नववर्ष, वसंत ऋतु, चंद्र दर्शन, गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि | 30 मार्च 2025 | 1 शुक्ल |
अप्रैल फूल दिवस, गणगौर तीज, वित्तीय वर्ष प्रारंभ | 1 अप्रैल 2025 | 3 शुक्ल |
दुर्गाष्टमी | 5 अप्रैल 2025 | 8 शुक्ल |
राम नवमी | 6 अप्रैल 2025 | 9 शुक्ल |
विश्व स्वास्थ्य दिवस | 7 अप्रैल 2025 | 10 शुक्ल |
महावीर जयंती | 10 अप्रैल 2025 | 13 शुक्ल |
श्री हनुमान प्रकटोत्सव | 12 अप्रैल 2025 | चैत्र पूर्णिमा |
चैत्र मास में पूर्णिमा कब है 2025
2025 में चैत्र मास की पूर्णिमा 12 अप्रैल को होगी। पूर्णिमा यानी चंद्रमा की पूर्णता का दिन हिंदू पंचांग में विशेष महत्व रखता है। चैत्र पूर्णिमा का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन श्रद्धालु विशेष व्रत और पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन भगवान श्री राम के भक्त भगवान हनुमान की जयंती भी मनाई जाती है, जिससे इस दिन की धार्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालु चंद्रमा की पूजा करते हैं और चंद्र देव को जल अर्पित करते हैं। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा का भी प्रचलन है, जिसके माध्यम से लोग सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं।चैत्र मास में अमावस कब है 2025
2025 में चैत्र मास की अमावस्या 29 मार्च को होगी। अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण किया जाता है। चैत्र माह की अमावस्या को भी ‘शनि अमावस्या’ कहा जाता है, जिसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। अमावस्या का रात का समय धार्मिक क्रियाओं के लिए अनुकूल माना जाता है, इसलिए लोग इस दिन अधिकतर जप, ध्यान और साधना में लिप्त रहते हैं।चैत्र मास का महत्व
चैत्र मास हिन्दू पंचांग का पहला महीना है और इसका विशेष महत्व है। यह आमतौर पर मार्च और अप्रैल के बीच आता है और नए जीवन के आरंभ का प्रतीक माना जाता है। चैत्र मास के साथ वसंत ऋतु का आगमन होता है, जिससे प्रकृति में नए रंग और ऊर्जा का संचार होता है। चैत्र मास से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है, जिसे ‘गुड़ी पड़वा’ या ‘विक्रम संवत’ के रूप में मनाया जाता है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार आते हैं, जैसे चैत्र नवरात्रि, राम नवमी, और हनुमान जयंती, जो भक्तों के लिए श्रद्धा और भक्ति का अवसर प्रदान करते हैं। इस महीने को भक्ति और संयम का पावन महीना माना जाता है, क्योंकि इसमें लोग विभिन्न व्रत और पूजा कार्य करते हैं। संतोष और शांति के लिए नियमित पूजा-अर्चना का अभ्यास इस महीने में विशेष रूप से बढ़ जाता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, चैत्र मास का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, क्योंकि इसी महीने से साल की गणना का आरंभ होता है और यह सभी प्रकार के नये उद्यमों के लिए शुभ माना जाता है। इस प्रकार, चैत्र मास का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। चैत्र मास का समय धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस माह की शुरुआत और इसके दौरान मनाए जाने वाले त्योहार हमें नई ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करते हैं। 2025 में चैत्र माह की शुरुआत 15 मार्च को हो रही है और इसके विभिन्न धार्मिक महत्वों को ध्यान में रखते हुए हमें इस माह को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए।सम्बंधित प्रश्न
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माह का नाम | माह का नाम |
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चैत्र माह | वैशाख माह |
ज्येष्ठ माह | आषाढ़ माह |
श्रावण माह | भाद्रपद माह |
आश्विन माह | कार्तिक माह |
मार्गशीर्ष माह | पौष माह |
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