Vaishakha mahina kab aata hai

2025 वैशाख महीना कब है? पूर्णिमा और अमावस

वैशाख महीना हिंदू पंचांग के अनुसार दूसरे नंबर का महीना होता है और यह विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना विशेष रूप से गर्मी के मौसम में आता है और हिंदू धर्म में इसे पुण्य और शांति का प्रतीक माना जाता है। वैशाख माह में कई महत्वपूर्ण तिथियाँ होती हैं और इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना, व्रत, और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस लेख में हम आपको वैशाख महीने के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं, जैसे कि यह महीना कब आता है, इसके प्रमुख त्योहार कौन से हैं, और इस माह का धार्मिक महत्व क्या है। साथ ही, हम वैशाख महीने में आने वाली प्रमुख तिथियों जैसे पूर्णिमा, अमावस्या और त्योहारों के बारे में भी चर्चा करेंगे। यदि आप भी वैशाख माह के बारे में विस्तार से जानकारी चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।

वैशाख महीना कब आता है

वैशाख महीना हिंदू पंचांग के अनुसार साल का दूसरा महीना होता है, जो आमतौर पर अप्रैल और मई के बीच आता है। वैशाख महीने की शुरुआत वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से होती है, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना खासतौर पर गर्मी के मौसम में आता है और माना जाता है कि इस दौरान पृथ्वी पर तपस्या और साधना के लिए अनुकूल वातावरण होता है। वैशाख माह में वैशाख शुक्ल पक्ष और वैशाख कृष्ण पक्ष दोनों होते हैं। यह समय विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठानों, स्नान, और पुण्य कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

2025 वैशाख महीना कब शुरू हो रहा है

2025 में वैशाख महीना 13 अप्रैल 2025 को शुरू होगा और मई 12, 2025 को खत्म रहा है। वैशाख माह की शुरुआत के साथ ही लोग इस दिन को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने, नए कार्यों की शुरुआत करने, और पुण्य कार्यों में संलग्न होने के रूप में मनाते हैं। इस दिन को विशेष रूप से वैशाख स्नान और गंगा स्नान के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग धार्मिक नदियों में स्नान करके पुण्य प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। 2025 में वैशाख महीना अप्रैल के मध्य में शुरू होगा, और यह महीना पूरे एक महीने तक रहेगा।

2025 वैशाख महीने में कौनसे त्योहार हैं

वैशाख महीने में कुछ प्रमुख धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं। 2025 में वैशाख माह के दौरान मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में शामिल हैं:
  • बैसाखी: 14 अप्रैल 2025 को मनाया जाने वाला यह त्योहार मुख्य रूप से किसानों का पर्व है, जो फसल कटाई के समय मनाया जाता है। यह आनंद और समृद्धि के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
  • मेष संक्रांति: 14 अप्रैल 2025 को ही मनाई जाती है, जो नए साल की शुरुआत का प्रतीक होती है। यह दिन सूर्य के मेष राशि में प्रवेश का समय होता है।
  • आंबेडकर जयंती: 14 अप्रैल 2025 को ही डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
  • बंगाली नव वर्ष: 15 अप्रैल 2025 को मनाने वाला यह त्योहार बंगाली संस्कृति में नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
  • संकष्टी गणेश चतुर्थी: 16 अप्रैल 2025 को मनाया जाने वाला यह पर्व भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन होता है।
इन त्योहारों के अलावा, वैशाख माह में कई और त्योहार मनाए जाते हैं जिनकी सूची नीचे लिखे अनुसार है:-
त्योहार का नाम तारीख
ईस्टर 20 अप्रैल 2025
कालाष्टमी 21 अप्रैल 2025
पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल 2025
वरुथिनी एकादशी, वल्लभाचार्य जयंती 24 अप्रैल 2025
प्रदोष व्रत 25 अप्रैल 2025
शिव चतुर्दशी 26 अप्रैल 2025
अमावस्या 27 अप्रैल 2025
सोमवार व्रत, चंद्र दर्शन 28 अप्रैल 2025
परशुराम जयंती 29 अप्रैल 2025
रोहिणी व्रत, मातंगी जयंती, अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025
वरद चतुर्थी, महाराष्ट्र दिवस, मई दिवस 01 मई 2025
सूरदास जयंती, षष्टी 02 मई 2025
गंगा सप्तमी 03 मई 2025
बगलामुखी जयंती, दुर्गाष्टमी व्रत 05 मई 2025
सीता नवमी 06 मई 2025
रवींद्रनाथ ठाकुर जयंती 07 मई 2025
मोहिनी एकादशी 08 मई 2025
परशुराम द्वादशी, प्रदोष व्रत 09 मई 2025
नृसिंह जयंती, मातृ दिवस 11 मई 2025
बुद्ध पूर्णिमा (बुद्ध जयंती), सत्य व्रत, पूर्णिमा व्रत, पूर्णिमा, कूर्म जयंती 12 मई 2025
 

वैशाख मास में पूर्णिमा कब है 2025

वैशाख मास की पूर्णिमा 12 मई 2025 (29 वैशाख) को होगी। इस दिन को विशेष रूप से वैशाख पूर्णिमा कहा जाता है, और यह दिन व्रत, उपवास और पूजन के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन गंगा स्नान और तीर्थ स्थानों पर स्नान करना पुण्यकारी माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर विशेष रूप से बुद्ध पूर्णिमा भी मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इस दिन विशेष रूप से बुद्ध के उपदेशों को याद किया जाता है और उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा ली जाती है। वैशाख पूर्णिमा को पूरे भारत में श्रद्धा और भक्तिपूर्वक मनाया जाता है।

वैशाख मास में अमावस कब है 2025

वैशाख माह की अमावस्या 27 अप्रैल 2025 (7 वैशाख) को होगी। यह दिन खासकर पितरों को तर्पण देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है। इसे वैशाख अमावस्या कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से श्राद्ध कर्म, तर्पण, और पितृ पूजा की जाती है। इस दिन को तंत्र-मंत्र और साधना के लिए भी शुभ माना जाता है। वैशाख अमावस्या का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे खासतौर पर तीर्थ स्नान और दान करने का दिन माना जाता है।

वैशाख मास का महत्व

वैशाख मास का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है, यह तिथि विशेष रूप से धार्मिक क्रियाकलापों, पर्वों और पूजा-अर्चना के लिए जानी जाती है। इस मास में कई महत्वपूर्ण तिथियाँ जैसे बुद्ध पूर्णिमा, अक्षय तृतीया और विभिन्न एकादशी व्रत आते हैं। वैशाख मास में मनाया जाने वाला गंगा सप्तमी जैसे त्योहार, जल और पृथ्वी की पवित्रता के प्रतीक हैं। इस दौरान नदियों में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है, जो मनुष्य के आत्मिक शुद्धिकरण और पितृों की आत्मा की शांति के लिए लाभकारी माना जाता है। इसलिए, वैशाख मास भक्तों के लिए धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक समर्पण का समय है।

सम्बंधित प्रश्न

वैशाख मास का दूसरा नाम क्या है?

वैशाख को माधव माह के नाम से भी जाना जाता है।

वैशाख के बाद क्या आता है

वैशाख के बाद ज्येष्ठ का महीना आता है।

वैशाख मास में किसकी पूजा होती है

वैशाख में भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों की पूजा की जाती है। वैशाख मास हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखने वाला महीना है। यह महीना पुण्य और शांति की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है। इस माह में मनाए जाने वाले पर्व और तिथियाँ हमें धार्मिक और आत्मिक रूप से शुद्ध होने का अवसर प्रदान करते हैं। 2025 में वैशाख महीना 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है, और इस दौरान आने वाले प्रमुख त्योहारों और तिथियों का हमें पालन करना चाहिए, ताकि हम अपनी जीवन में समृद्धि, शांति और सकारात्मकता ला सकें।

Similar Posts